Thursday, December 26, 2013

"निराली झोपड़ी"

इस नगर में
कोई कोना ऐसा है
जहाँ इक साधारण झोपड़ी है
जिसका चौखट छोटा है
पर उसका उठाव गगनचुंबी
जहाँ मौसम का मिज़ाज़
सबसे भिन्न है
दिन गुरीरी, रात जगमगाती
बारिश तो अनोखी होती है
इस झोपड़ी में
सबका प्रवेश वर्जित है
मन में कोई भी अतिरिक्त
वस्तु रख अंदर नहीं जाया जा सकता
इसकी विशेषता ही इसकी श्रेष्ठता है
इसमें जाने के बाद कुछ भी याद नहीं रहता
मस्तिष्क तो पूर्णता जंगा जाती है
और वज़ूद तृप्त हो जाता है
तबई के सागर में
संचार होता है भावना के
सूखे गहरे सरोवर में प्रणय संवेदना का
भरा होता है पूरा कमरा उस झोपड़ी का
अनेका-अनेक अनंदिता से
फ़िज़ा भी अंदर छन के जाती है...

बड़ा ही ताज्जुब में डालने वाला 
अलग सा फलसफा है इसका...
  
सुना है उस झोपड़ी का नाम 'इश्क़' है


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 26 Dec, 2013

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