Tuesday, December 24, 2013

समय से ज्यादा बलवान और कोई नहीं

कितनी जल्दी तय कर लिया
फासलो ने रास्ता...

मौसम तो वही है
पर आज धूप खिली है
वर्ष वो नहीं, दिन वो नहीं
माह वही है, तारीख वही
मगर सब कुछ बदला-बदला है,

यकीनन मैं भी वो नहीं रही
जो पिछले वर्ष थी
मेरे अंदर के बदलाव कि भनक 
अब अनजानो को भी हो चली है
कल्पनाओ कि दुनियाँ से बाहर हूँ आज
यातनाओ के जहान में
सच कि उंगली पकड़ी है
झूठ वार पर वार कर रहा है
तेजस्वी स्वप्न धुँआ-धुँआ हो
इस साल कि ठण्ड के
पहले कोहरे के साथ कहीं खो गए
आश्चर्य के अतिरिक्त व्यक्त करने को
सीख कि पेशकश के अलावा
मेरे पास कुछ नहीं....
 
अचानक सब कुछ पलट गया
इतनी तेज़ी से...

ये कहावत
सही मालूम पड़ने लगी है.....
 
समय से ज्यादा बलवान
और
कोई नहीं!!

रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
dated : 25 Dec, 2013___on the occasion of  Christmas

(Merry Christmas )

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