Friday, December 20, 2013

"!!नियति!!"

दो डाल विपरीत दिशा में
पीठ किये हुए परस्पर
एक-दूसरे कि तरफ...
अहम् दोनों में अति
हरे भरे, सुदृढ़, झूलाते हुए
धूप में नहाते हुए,
चाँद कि रोशनी में मुस्कुराते हुए
आसमान कि और सिर उठाये,
फलो से लदलद दोनों ही!

परन्तु नियति कुछ नहीं देखती........

फिर इक जोरदार आँधी ने
धूल उठा दिया पूरे वातावरण में
धकेल दिया डालो को इक-दूसरे कि ओर
अब दोनों आलिंगर्त, उलझे हुए, दोनों मीत
समझते हुए इक-दूजे को
जैसे मानो बरसो के हमजोली हो!
 
परन्तु नियति कुछ नहीं देखती...........

फिर पथरीली कठोर बूंदो कि वर्षा
इक डाली टूटी तने से प्राणमुक्त हो
फिर जमीन पर आ गिरी
अब दोनों अलग, जुदा, विलाप करते हुए
दूर से निहारता हुआ
जीवित आसमानी डाल...
प्राणमुक्त डाल को!

क्यूंकि........

होता वही है जो नियति तय करती है  
परन्तु नियति कुछ नहीं देखती!!!

रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 20/12/2013
 

No comments:

Post a Comment

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!