Tuesday, February 11, 2014

"बस तुम हो"

ले चलो हमें इस जहान से दूर कहीं
जहां तुम हो बस तुम हो और तुम हो

इस जामने के रंज-ओ-गम के पार कहीं
जहाँ प्यार हो सिर्फ चाह हो बस इश्क़ हो

तुमसे अच्छा भी क्या है? तमाम कायनात में
तुम्ही जन्नत हो, खुदा हो, मेरे मोहसिन हो

भरते हैं आंहे जाग कर सारी रात अब हम
तुम्ही आरज़ू हो, ख्वाब हो, वजह-ए-मुतमइन हो

हर अंदाज़ जिंदगी का निखर के नूर हो जाए
अगर आइना तुम, तस्वीर तुम और दीद तुम हो


ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'

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