Thursday, February 27, 2014

मेरे हो जाओ.....


मेरे रुतबो में शरीक हो जाओ
मुझमे सिमटो नसीब हो जाओ

इक तावीज़ बना के पहन लूँ सदा के लिए
मेरे दिल के करीब हो जाओ

मुझे कुछ पल को आराम मिले
मेरी ख्वाबो कि दीद हो जाओ

हर जर्रे में अपनी हुकूमत करलो
मेरे साँसों कि खुश्बू हो जाओ

तुमपे ख़तम हो अपनी जिंदगानी
मुझे मुझसे अज़ीज़ हो जाओ 

मिटा दो कदम-दो-कदम के फासले भी
मेरे हमदम और मीत हो जाओ

एहसासो के छायी घटाओ से कहो बरसे
मुझे भिगो दो और संग भीग जाओ

इन मौसम कि रौनकों में रहो
मेरी हर इक उम्मीद हो जाओ

उलझन को फुरसते बक्श दूँ
मेरी तुम हर तरकीब हो जाओ

मुझे तेरे नाम से जाना जाए
मेरे मोहसिन-हबीब हो जाओ
 

ग़ज़लकार : परी ऍम श्लोक

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