Friday, March 21, 2014

!!तमाम शब् मैंने!!


तमाम शब् मैंने तन्हाईयो से बात कि
तेरी कमी को हर ज़र्रे में एहसास कि
मेरी धड़कनो ने जब भी तेरा नाम लिया
हर दफा तमन्ना हुई मुझको परवाज़ कि

तुमसे मिलने से पहले खुद से बेगानी थी
तुम्ही से सीखा है कद्र मैंने जस्बात कि
मैंने दौड़ कर यादो को फ़ौरन चुप कराया
सन्नाटो को सुना रहा था दास्तां बेताब सी

बेखबर रहे क्यूँ तुम इस बात से अबतक
क्यूँ तुम्हारी जस्तुज़ू ने नही मेरी तलाश कि

जानते हो क्या ? तुम बारहमासी बरसात हो
और मैं बिन आशियाने का परिंदा हूँ आकाश कि

ग़ज़लकार : परी ऍम श्लोक

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