Tuesday, March 4, 2014

बस तजुर्बा मिला हमें तौफे में जिंदगी के

किस बिनाह पे जिंदगी से शिकवा करें यारो
हर सांस थी अपनी और हर फैसला मेरा

ख्वाबो के चिथड़े हैं बिखरे गली-गली
कोशिश धुँआ-धुँआ हैं चित है हौसला मेरा

खुशिया खफा हुई यूँ गयी तो फिर न आयी
अब आँख में नमी है दिल है गमज़दा मेरा

जाने क्यूँ सितम ढाते रहे हाल-ए-मौसम भी
हवा उड़ा के ले गयी शज़र से घोंसला मेरा

बस तजुर्बा मिला हमें तौफे में जिंदगी के
खत्म आखिरी लम्हे तक न हुआ इम्तिहां मेरा


ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'

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