Wednesday, April 2, 2014

"फासला"

कितनी अज़ीब
बात है न
इक घनिष्ट मित्र होते हुए भी
हमारी सोच में मेल नहीं
बल्कि एक लम्बा फासला है
मैं जिंदगी के विषय में
पी. हच. डी. करना चाहती हूँ
जिसमे बहुत सारी आपत्तियां
केवल मुझे
फेल करने पे अमादा होंगी
लेकिन मैं
सबका सामना करने के लिए
तैयार खड़ी हूँ
तुम जटिलताओं से
कोसो दूर भागते हुए
अपने सुखी जीवन कि
रचना लिखने में
पूरी तरह व्यस्त हो
और उनकी क्षणिक
मुस्कुराहटो में फूले जा रहे हो
और इसके साथ ही
लगातार खोते जा रहे हो
जीवन का सही मतलब !!

रचनाकार : परी ऍम श्लोक

 

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