Tuesday, July 1, 2014

गहराईयाँ

खारे पानी से भरे
दूर से आकर्षित करते
गहरे नील सागर में
उतरी हूँ मैं
गहराई का अनुमान लगाने
डूब गयी तो समझना
तैरने में सक्षम नहीं
लहरे ज्यादा ठोस थी
जिन्हे पत्थरो कि भिड़त ने
मजबूत बना दिया है
और मैं कमज़ोर रही
हाँ ! पार लगी तो
आकर बतलाऊँगी
इसकी विशालता कि गाथा
मैंने सुना है
इसमें उतरने वाला
माया में ऐसा रम जाता है
कि फिर डूब जाना ही
उसकी पहली और आखिरी
हसरत हो जाती है !!!


______परी ऍम 'श्लोक'

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