Saturday, October 4, 2014

भीड़.......!!

भीड़
जब कभी पंडाल में होती है
मैदान में होती है...उत्सव में होती है
बस ज़रा सी
अफवाह की हवा चलती है
ज़ोर का शोर होता है
गिर जाती हैं कोमल शाखाएं
कुचलते हुए बढ़ जाती है
इक बहुसंख्यक भीड़ आगे की ओर
जान सबको प्यारी होती है
लेकिन जो कुचले गए
उनकी जान का हिसाब कुछ नहीं
सिवाय सरकार के मुआवज़े के
जिस देश में बहुमत से सरकार चलती है
तख्तापलट हो जाता है सियासत का.....
उस देश में भीड़ का इक क्रूर रूप है
भीड़ बहुत खतरनाक होती है


भीड़ जब कभी
इन्साफ के लिए
सड़को पर होती है
कोर्ट के बाहर होती है
तब उस भीड़ का फायदा उठा
उसमे शामिल हो जाते हैं
कई गिरगिट कई मगरमच्छ
तो कुछ चले आतें है
इस जमघट को देख
फोटो खिचवाने के लिए
फेसबुक पर लगाने के लिए 
कुछ नंबर बनाने के लिए
भीड़ में असल पीड़ा और
इन्साफ की चाह लेकर
बहुत कम बढ़ाते हैं कदम
भीड़ में कम होते हैं सरफ़रोश
भरे होते हैं ज्यादा से ज्यादा नकाबपोश

भीड़ जब कभी
किसी की आत्मा की शान्ति के लिए
जला रही होती है मोमबत्तियां....
तब
मोमबत्तियों का पैकेट लेकर आ जाते हैं
कई दुष्ट ..बीमार सोच के लोग
इंसानियत  के खूनी ..गद्दार लोग 
अपने आप को महान दिखाने में
कोई कसर नहीं छोड़ते
आत्मा को अशांत करने का
नहीं छोड़ते कोई मौका
कैमरे के सामने आतें है
अपने आप को अच्छा बताने को
अपनी ऊँची सोच का डंका बजाने को
भीड़ उस पानी की तरह होती है
जो फ़िल्टर नहीं होती
लेकिन दिखती एकदम साफ़ है
मिलकर गन्दगी के बादशाह
इसे गन्दा कर देते हैं
भीड़ नहीं रह जाती
इक मुकम्मल नेक चाह के साथ
इक निष्पक्ष नेक कदम के साथ
तब भीड़ भयावह होती है
भीड़ श्रापित होती हैं
और
मुझे नहीं बनना इस भीड़ का हिस्सा !!


 __________© परी ऍम श्लोक

5 comments:

  1. भीड का कोई चेहरा नहीं होता बस, एक झोंक और एक आकार !

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  2. गहन विचार लिए रचना |बहुत अच्छा लगा पढ़ कर |

    इक मुकम्मल नेक चाह के साथ
    इक निष्पक्ष नेक कदम के साथ
    तब भीड़ भयावह होती है
    भीड़ श्रापित होती हैं
    और
    मुझे नहीं बनना इस भीड़ का हिस्सा !!

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  3. यही तो हमारे देश का दुर्भाग्य है की हर बार एक ही ग़लती की जाती है और सब कुछ वोट बैंक के तराजू पर तौल दिया जाता है.
    new post वो कयामत थी या...@http://iwillrocknow.blogspot.in/

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  4. बहुत बढ़िया परी जी

    सादर

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  5. हकीकत को बयां करती रचना.

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