तेरा
मेरे हो जाने से ज़्यादा
ज़रूरी है
हर लम्हा मेरे पास
होना
किसी भी शक़्ल में ,
किसी भी सूरत में
दिल में धड़को ,सांस में
महको,
या आफ़ताब की शुआओं से
छू लो मुझे
बात ये सोचने की है
लेकिन
फिर रिश्ते का नाम क्या
होगा ?
मुझे रह-रह ख़्याल आता
है
इन नामी रिश्तों का
ज़माने में
एक आख़िरी दौर भी तो आता
है
कभी कोई वादा तोड़ता है
यहाँ
कभी कोई जुबां से पलट
जाता है
इस तसलसुल में हर
इन्साँ
एक दूजे का हाथ छोड़ चला
जाता है
और मुझे खौफ़ है तुझे
खोने का
इसलिए बेनाम , गुमनाम ,
अंजान
सा तआलुक तुमसे जोड़
लेते हैं
के आओ। तुम्हें
रूह में रख कर
जिस्म की सारी बंदिश
तोड़ देते हैं !!
© परी ऍम. 'श्लोक'